सज "नरानया" गण जब जाते। 'सुमति' छंद की लय बिखराते।। सज "नरानया" गण जब जाते। 'सुमति' छंद की लय बिखराते।।
लोभ मोह जो त्याग दे, वो साधक बन जाय।। लोभ मोह जो त्याग दे, वो साधक बन जाय।।
शांति धारो। दुःख टारो।। सदा सुखदा। हरे विपदा।। शांति धारो। दुःख टारो।। सदा सुखदा। हरे विपदा।।
किसी से, दिल लगा। रह गया, मैं ठगा। किसी से, दिल लगा। रह गया, मैं ठगा।
करके तांडव नृत्य, प्रलय जग की शिव करते। विपदाएँ भव-ताप, भक्त जन का भी हरते। करके तांडव नृत्य, प्रलय जग की शिव करते। विपदाएँ भव-ताप, भक्त जन का भी हरते।
ये घनाक्षरी समान छंद है प्रवाहमान। राचिये इसे सभी पियूष-धार चाखिये।। ये घनाक्षरी समान छंद है प्रवाहमान। राचिये इसे सभी पियूष-धार चाखिये।।